Thodi door sath chalo | Ahmad Faraz | Full Ghazal


कठिन है राहगुज़र थोड़ी दूर साथ चलो

बहुत कड़ा है सफ़र थोड़ी दूर साथ चलो 


Kathin Hai Rahguzar thodi door sath chalo

bahut kada hai safar thodi door sath chalo


तमाम उम्र कहाँ कोई साथ देता है

ये जानता हूँ मगर थोड़ी दूर साथ चलो 


Tamam umr kahañ koi sath deta hai

Ye janta hu magar thodi door sath chalo


नशे में चूर हूँ मैं भी तुम्हें भी होश नहीं

बड़ा मज़ा हो अगर थोड़ी दूर साथ चलो  


Nashe me choor hu main bhi tumhe bhi hosh nhi

Bada maza ho agar thodi door sath chalo


ये एक शब की मुलाक़ात भी ग़नीमत है

किसे है कल की ख़बर थोड़ी दूर साथ चलो


Ye ek shab ki mulaqat ganimat hai

Kise hai kal ki khabar thodi door sath chalo


अभी तो जाग रहे हैं चराग़ राहों के

अभी है दूर सहर थोड़ी दूर साथ चलो


Abhi to jaag rahe hai charagh raaho ke

Abhi hai door sahar thodi door sath chalo


तवाफ़-ए-मंज़िल-ए-जानाँ हमें भी करना है

'फ़राज़' तुम भी अगर थोड़ी दूर साथ चलो 


Tawaf-e-Manzil-e-janañ hai bhi karna hai

'Faraz' tum bhi agar thodi door sath chalo

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