आज इक और बरस बीत गया उस के बग़ैर
जिस के होते हुए होते थे ज़माने मेरे
~ अहमद फ़राज़
Aaj ek aur baras biit gaya us ke begair
Jis kke hote hue hote the zamane mere
इक साल गया इक साल नया है आने को
पर वक़्त का अब भी होश नहीं दीवाने को
~ इब्न-ए-इंशा
Ek saal gaya ek saal naya hai aane ko
Par waqt ka ab bhi hosh nahi diwane ko
न शब ओ रोज़ ही बदले हैं न हाल अच्छा है
किस बरहमन ने कहा था कि ये साल अच्छा है
~ अहमद फ़राज़
Na shab o roz hi badle hai na haal achha hai
Kis barahman ne kaha tha ye saal achha hai
यकुम जनवरी है नया साल है
दिसम्बर में पूछूँगा क्या हाल है
~ अमीर क़ज़लबाश
Yakum january hai naya saal hai
December main pucchunga kya haal hai
पिछ्ला बरस तो ख़ून रुला कर गुज़र गया
क्या गुल खिलाएगा ये नया साल दोस्तो
~ फ़ारूक़ इंजीनियर
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