Roti Kharid Laya Hai Talwar Bechkar....
Meraj Faizabadi
Rishto ki kahkashan sare baazar bechkar,
Ghar ko bacha liya karo diwar bechkar
Sohrat ki bhukh humko kaha leke aa gayi ?
Hum mohtaram hue bhi to Kirdar bechkar!
Ke wo shakhsh shoorma hai
Magar Baap bhi to hai,
Roti kharid laya hai
Talwar bechkar
Jiske kalam ne muddato boye hai InQalab
Ab pet palta hai wo Akhbar bechkar.
⧫⧫⧫⧫⧫
-----------------------------------------------------------
रिश्तों की कहकशाँ सरे बाज़ार बेचकर
घर को बचा लिया करो दिवार बेचकर
शोहरत की भूख हमको कहाँ लेके आ गयी ?
हम मोहतरम हुए भी तो किरदार बेचकर !
के..... वो शक्श शूरमा हैं
मग़र बाप भी तो हैं ,
रोटी खरीद लाया हैं
तलवार बेचकर
जिसके कलम ने मुद्दतो बोये हैं इन्क़ेलाब
अब पेट पालता है वो अख़बार बेचकर |
-----------------------------------------------------------
तौफ़ीक़ - ए - सफर |
ज़िंदगी दी है तो जीने का हुनर भी देना
पाँव बख़्शें हैं तो तौफ़ीक़-ए-सफ़र भी देना
गुफ़्तुगू तूने सिखाई है कि मैं गूँगा था,
अब मैं बोलूँगा तो बातों में असर भी देना
मैं तो इस ख़ाना-बदोशी में भी ख़ुश हूँ लेकिन
अगली नस्लें तो न भटकें उन्हें घर भी देना
ज़ुल्म और सब्र का ये खेल मुकम्मल हो जाए
उस को ख़ंजर जो दिया है मुझे सर भी देना
1 Comments
Meaning samajh ni aarahi
ReplyDeletePlease do not comment any spam links