फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के कुछ चुनिंदा अशआर


फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ साहब के कुछ मकबूल और चुनिंदा शेर...

हम परवरिश-ए-लौह-ओ-क़लम करते रहेंगे 
जो दिल पे गुज़रती है रक़म करते रहेंगे

और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा 
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा

कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब 
आज तुम याद बे-हिसाब आए

दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है 
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है

और क्या देखने को बाक़ी है 
आप से दिल लगा के देख लिया

 दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के 
वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के

नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तुजू ही सही 
नहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही

आए तो यूँ कि जैसे हमेशा थे मेहरबान 
भूले तो यूँ कि गोया कभी आश्ना न थे

इक तर्ज़-ए-तग़ाफ़ुल है सो वो उन को मुबारक 
इक अर्ज़-ए-तमन्ना है सो हम करते रहेंगे

न जाने किस लिए उम्मीद-वार बैठा हूँ 
इक ऐसी राह पे जो तेरी रहगुज़र भी नहीं

FOLLOW US ON SOCIAL MEDIA


Post a Comment

0 Comments