ख़ामोशी के मौज़ू पर ये कुछ मुंतख़ब अशआर आपके लिए...
कौन कहता है कि उनसे मेरी बात नहीं होती..!!!
Khamoshiyoñ se milta hai mujhe khamoshiyoñ ka jawab
Kaun kahta hai ki unse meri baat nhi hoti
खामोशी खा गई वरना,
गुफ़्तगू हम भी कमाल की करते थे...
Khamoshi kha gyi varna
Guftagu ham bhi kamal ki karte the
मुस्तक़िल बोलता ही रहता हूँ
कितना ख़ामोश हूँ मैं अंदर से
- जौन एलिया
Mustaqil bolta hi rahta hu
Kitna khamosh hu main andar se
- Jaun Elia
इल्म की इब्तिदा है हंगामा
इल्म की इंतिहा है ख़ामोशी
- फ़िरदौस गयावी
Ilm ki ibtida hai hangama
Ilm ki inteha hai khamoshi
- Firdaus Gayavi
ख़मोशी से अदा हो रस्म-ए-दूरी
कोई हंगामा बरपा क्यूँ करें हम
- जौन एलिया
Khamoshi se ada ho rasm-e-duri
Koi hangama barpa kyu kare hum
- Jaun Elia
चुप चुप क्यूँ रहते हो 'नासिर'
ये क्या रोग लगा रक्खा है
- नासिर काज़मी
Chup chup kyu rahte ho 'Nasir'
Ye kya rog laga rakha hai
असर भी ले रहा हूँ तेरी चुप का
तुझे क़ाइल भी करता जा रहा हूँ
- फ़िराक़ गोरखपुरी
Asar bhi le rha hu teri chup ka
Tujhe kai'l bhi karta ja rha hu
- Firaq Gaurakhpuri
ख़ामोशी का सबब कुछ भी नहीं
मुझको बस गुफ़्तुगू से नफ़रत है
Khamoshi ka sabab kuch bhi nhi
Mujhe bas guftagu se nafrat hai
कई तरीक़े होते हैं कुछ कहने के,
उनमें से एक तरीक़ा है कुछ ना कहना भी..
Kayi tariqe hote hai kuch kahne ke
Unme se ek tariqa hai kuch na kahna bhi
मुझे ख़ामोश रखा है मेरे फिक्र-ए- तअल्लुक ने
मै चुप हूं तो मुझे वो बेजुवां ही मान बैठा है,
Mujhe khamosh rakha hai mere fikr-e-tallauq ne
Main chup hu to mujhe wo bejubañ hi maan baitha hai
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