बेस्ट ऑफ़ मिर्ज़ा ग़ालिब | Mirza Ghalib Shayari | Beautiful Couplets Of Mirza Ghalib

Best Couplets Of Mirza Ghalib | Ghalib's Collection | Mirza Ghalib Shayari | Beautiful Couplets Of Mirza Ghalib | In Hindi


दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ
मैं न अच्छा हुआ बुरा न हुआ

आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक
कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होने तक
हम ने माना कि तग़ाफुल न करोगे लेकिन
ख़ाक हो जाएँगे हम तुमको ख़बर होने तक

मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तेरे पीछे
तू देख कि क्या रंग है तेरा, मेरे आगे

बाज़ीचः-ए-अत्फ़ाल है दुनिया मेरे आगे
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे

आशिक़ हूँ, पे: माशूक फ़रेबी है मेरा काम
मजनूँ को बुरा कहती है लैला मेरे आगे

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि, हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान, लेकिन फिर भी कम निकले

निकलना खुल्द से आदम का सुनते आये थे लेकिन,
बहुत बेआबरू होकर तेरे कुचे से हम निकले

हर एक बात पे कहते हो तुम की तू क्या है,
तुम्ही कहो की ये अंदाज-ए-गुफ्तगुं क्या है

जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा
कुरेदते हो जो अब राख जुस्तजूं क्या है

रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल
जब आँख ही से ना टपका तो लहू क्या है

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