तहजीब हाफी की नई ग़ज़ल | Latest Poetry By Tehzeeb Haafi | New Shyari Of Tehzeeb Haafi

New Ghazal Of Tehzeeb Haafi | Latest Ghazal Of Tehzeeb Haafi | New Shayri Of Tehzeeb Haafi

मुझसे मत पूछो के उस शख्स में क्या अच्छा हैं
अच्छे अच्छों से मुझे मेरा बुरा अच्छा हैं

किस तरह कोई मुझसे मोहब्बत में जीत गया
ये न कह देना के बिस्तर में बड़ा अच्छा हैं

अब मजीद उससे ये रिश्ता नहीं रखा जाता
जिससे एक शख्स का पर्दा नहीं रखा जाता

एक तो बस में नहीं तुझसे मोहब्बत न करू
और फिर हाथ भी हल्का नहीं रखा जाता

पढ़ने जाता ही तो तस्मे नहीं बांधे जाते
घर पलटता हु तो बस्ता नहीं रखा जाता

दर व दीवार पे जंगल का गुमां होता हैं
मुझसे अब घर में परिंदा नहीं रखा जाता

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