जो रंजिशे थी उन्हें बरकरार रहने दिया
जो रंजिशे थी उन्हें बरकरार रहने दिया
गले मिले और दिल में गुबार रहने दिया
गली के एक मोड़ से आवाज़ देकर लौट आये
सारी रात उसे बेक़रार रहने दिया
कोई ख्वाब दिखाया ना कोई ग़म दिया उसको
उसकी आँखों में बस एक इंतजार रहने दिया
उसे भुला भी दिया और याद भी रखा उसको
नशा उतार दिया और खुमार रहने दिया
~ शकील आज़मी
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