Sad Poetry with Sad Images | Urdu Sad Poetry with Images | Sad Shayri in Hindi
मुकर्रर कर दिए जाते हैं सौदा सल्फ लाने पर
मेरी बस्ती के बूढ़े जब कमाना छोड़ देते हैं
सब परिंदे उड़ गए हैं, धीरे-धीरे छोड़ कर 😢
बागबां अब है अकेला, उम्र के इस मोड़ पर.!!
किस जरूरत को दबाऊ किसे पूरा करूं
अपनी 'तनख्वाह' कई बार गिनी मैंने
कहीं वफा ही नहीं थी ' हर एक सवाली था
मेरे मिज़ाज के लोगों से, शहर खाली था
जीने वालो से पूछो कैसे जीते हो,
मरने वाले का तो सब पूछते है कैसे मरा
0 Comments
Please do not comment any spam links