अकेलापन पर शायरी | अपने लिए शायरी | Alone Poetry For Myself | खुद के लिए शायरी


मेरी सादगी से इश्क़ है... तो ही आना,

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नयन - नक्श....... कुछ ख़ास नहीं मेरे !!


और क्या जानोगे ज़्यादा मेरे बारे में।

मैँ शुरू होते ही ख़त्म भी हो जाता हूँ 


कहीं वफा ही नहीं थी हर एक सवाली था 

मेरे मिज़ाज के लोगों से शहर खाली था 


तेरी मोहब्बत से ज्यादा , तेरी इज्ज़त अजीज़ है,

तेरे क़िरदार पे बात आई तो मैं अजनबी बन जाऊंगा..


बड़े होंगे तो ज़िंदगी जिएंगे अपने हिसाब से 

बचपन के इस ख्याल पर अब रोज हंसी आती है !!


किसी को कैसे बताएँ ज़रूरतें अपनी, 

मदद मिले न मिले आबरू तो जाती है...








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