ये कुछ चुनिंदा शेर उनकी याद में उन्हीं के कलम से
आसमां झुक झुक के करता है सवाल,
आपके क़द के बराबर..... कौन है
सारी दुनिया हैरती है किस लिए,
दूर तक मंज़र ब मंज़र..... कौन है
लगेगी आग तो आएंगे घर कई ज़द में,
यहां पर सिर्फ हमारा मकान थोड़ी हैं
हमारे मुंह से जो निकले वही सदाकत है,
हमारे मुंह में तुम्हारी ज़ुबान थोड़ी है
मैं जानता हूं कि दुश्मन भी कम नहीं,
लेकिन हमारी तरह हथेली पर जान थोड़ी है
जो आज साहिबे मसनद हैं, कल नहीं होंगे
किरायेदार हैं, ज़ाती मकान थोड़ी हैं
सभी का ख़ून है शामिल, यहां की मिट्टी में
किसी के बाप का हिन्दुस्तान थोड़ी हैं।
*********************************
न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा
हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा
आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो
नए किरदार आते जा रहे हैं
मगर नाटक पुराना चल रहा है
घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया
घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है
ए वतन एक रोज तेरी खाक में खो जाएंगे, सो जायेंगे
मर के भी रिश्ता नहीं टूटेगा हिंदुस्तान से, ईमान से
आप हिन्दू मैं मुसलमान ये ईसाई वो सीख
यार छोड़ो ये सियासत हैं चलो इश्क़ करे
गुलाब, ख्वाब, दवा, ज़हर, जाम क्या क्या हैं
मैं आ गया हूं बता इंतेज़ाम क्या क्या हैं
अलविदा राहत साहब
0 Comments
Please do not comment any spam links