मोहब्बत में बिछड़ने के बाद | Judayi Shayri | Sad Couplets | Breakup Poetry

After Break Up Poetry | Furqat Shayri | Judai Shayri | Latest Poetry On Sepration

एक बार ही जी भर के सज़ा क्यूँ नहीं देते ?
मैं हर्फ़-ए-ग़लत हूँ तो मिटा क्यूँ नहीं देते ?

मोती हूँ तो दामन में पिरो लो मुझे अपने,
आँसू हूँ तो पलकों से गिरा क्यूँ नहीं देते ?

साया हूँ तो साथ ना रखने कि वज़ह क्या ,
पत्थर हूँ तो रास्ते से हटा क्यूँ नहीं देते ?
- नमालुम

मेरा किरदार बिना इश्क़ के जचेगा क्या
अगर खुद से उन्हें निकाल दू तो बचेगा क्या...

शिफा देता था कभी जिसका मरहमी लहजा,
वहीं मसीहा मुझे बीमार करके छोड़ गया..

एक बात बहोत तल्ख़ कही थी मैने उनसे !
बात तो याद नहीं रहेगी याद रहेगा लहज़ा मेरा..

मैं जनता हूँ के मुझमें बहुत सी कमियां हैं ...
अगर आप मुकम्मल हैं तो छोड़ दिजिए मुझे

हर गुनाह मेरा है मंजूर है मुझे,
कोई इल्ज़ाम नहीं तुझ पर, तू फिक्र न कर !!

मैंने वो खोया जो मेरा कभी था ही नहीं,
और उसने वो खोया, जो सिर्फ उसी का था..!!

उनकी जोड़ी बहुत बेकार लग रही थी ...
उसे रुख़सत करने वाले मुझे ये दिलासा दे रहे थे ,

हाँ मुझे मोहब्बत करनी ही नहीं आती,
.
.
जा किसी और की, होने की इजाज़त है तुझे.!

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