हमारे बाद इस महफिल में अफसाने बयां होंगे | अलविदा दिलीप साहब

दिलीप कुमार यानी मोहम्मद यूसुफ खान कल 7 जुलाई 2021 को इस फानी दुनिया को अलविदा कह गए, यूसुफ साहब एक उम्दा अदाकार के साथ साथ दिलीप साहब को उर्दू से बेहद गहरा लगाव था | उन्हें शेरो-शायरी में ख़ासी दिलचस्पी थी | 
आईए देखते कुछ शेर जो दिलीप साहब ने पढ़े थे



हमारे बाद इस महफिल में अफसाने बयां होंगे
बहारें हमको ढूंढेंगी न जाने हम कहां होंगे


सुकून-ए-दिल के लिए कुछ तो एहतमाम करूं
और जरा नज़र तो मिले फिर उन्हे सलाम करूं

मुझे तो होश नहीं आप मशवरा दीजे
कहा से छेड़ू फसाना कहा तमाम करू



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